मैं हर वक़्त तेरे साथ हूँ
तुझसे जुड़ा एहसास हूँ
तुझ से दूर था ही नही कभी
तेरे दिल के बहुत पास हूँ
में तेरा साया हूँ
जो एक याद बनकर
तुझ मे समाया है
मैं तेरी सोच में हूँ
जो मुझसे ही शुरू होकर
मुझ पर ही खत्म है
मैं तेरी सुबह, तेरी शाम हूँ
तेरे सपनो मे मेरी ही झलक है
मैं तेरी आशा हूँ , मै ही तेरी निराशा हूँ
जो मुझसे ही बनकर
मुझ पर ही टूटती है
मैं उस दरिया का साहिल हूँ
जो खामोश चुप चुप रहता है
पर उसकी सास बनकर बहता है
मैं तेरा इन्तज़ार हूँ
जो हर घड़ी, हर पहर तुझको है मेरा
मैं तेरा पागलपन हूँ
जो एक पल मिलने को तरसता हैं
मै बस एक तेरी कल्पना हूँ
जिसका अपना कोई वजूद नहीं
मै कुछ भी तो नहीं
मै बस तुझ मे हूँ
तुझ मे …….
बरखा रानी
बेहद उम्दा कल्पना है आपकी……..
bhut khoob………. achhi lagi …..barkha ji……………..
आपकी विचारशीलता उत्तम है ………….बहुत अच्छे बरखा जी
बहुत ही खूबसूरत…………… ।