मैं तो लड़खड़ाता हूँ तु चलता चाल में होगा,
नहीं मालूम है मुझको तु किस हाल में होगा।
सपने जागती आँखों से देखने की आदत है,
सोचता हूँ कि तु अब भी मेरे ख़्याल में होगा।
तुने मुझे लिखा था वो जो एक इकलौता खत,
रख के हूँ भूला जाने किस रूमाल में होगा।
मैं तो सोच के डरता हूँ क्या जवाब देगा तु,
जब मेरा ही ज़िक्र तुझसे हर सवाल में होगा।
जानता हूँ नामुमकिन है तेरा लौटना “करुणा”,
दिल उलझा नए रिश्तों के जंजाल में होगा।
Behtreen rachnaa Ajay………..
dhanyawad sir.
laajwaab……..
शुक्रिया सर।
Lovely in your style……………!!
thanks for your comment.
Bahut bahut khubsurat…………!
aapka bahut bahut shukriya Kajal ji.
bhut bdhiya…….. khoob ……….gazal me bhihath aajmaya aur safal rahe.
शुक्रिया मैम….मेरी इस रचना पर प्रतिक्रिया देने के लिए।