लुटाकर हर ख़ुशी उम्र भर रो सकता हूँ मैं
एक सिर्फ तुझे हँसाने के लिये ,
अश्को के सागर में खुद को बहा सकता हूँ मैं
तेरे कपोलो के गुल खिलाने के लिये,
हवाओ के बेबस झोंको से उलझ सकता हूँ मैं
तेरे गेसुओं की लट सुलझाने के लिये,
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मगर अफ़सोस ये है की………….!
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जमाने भर की खुशियां कम पड़ जाती है
एक तेरे दिये गम मिटाने के लिये !!
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डी. के. निवातिया______@
Sadaiv ki bhanti aap ki kalam ka jaadu….,mantr- mugdh karane wali sundar rachana.
Thanks …उत्साहवर्धन करती खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार आपका… MEENA JI
Beautiful poem…..
Thanks …उत्साहवर्धन करती खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार आपका… ANU JI
Waahhhhh……….क्या कहूँ…..मीनाजी ने सही कहा है मंत्र मुग्ध करती रचना…….शब्दों का जादू जादूगर की कलम से…. बेहतरीन…..
…उत्साहवर्धन करती खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार आपका… BABBU JI.
Bahut achche Nivatiya ji ………..
…उत्साहवर्धन करती खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार आपका… SHISHIR JI
Vah…vah…lajawaab
…उत्साहवर्धन करती खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार आपका… VIJAY JI.
Very beautiful……………..
…उत्साहवर्धन करती खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार आपका…SAVITA JI.
bahut hi khubsurat rachna hai sir…
Thank U Very Much …..!!