मिले जो तुम मुझे, अपना बना लिया तुमने…
जहां में सबसे प्यारा, बना दिया तुमने….
ना जाने क्या हुआ, दिन में चाँद दिखने लगा…
हसीन हर पल, मेरा बना दिया तुमने….
हमें तुम्हारे सिवा कुछ, नज़र नहीं आता….
हरेक शय से दिल में, छुपा लिया तुमने…..
कोई भी होगा कहाँ, इतना खुशनसीब यहां…
के जिस्म जाँ में मेरे, घर बना लिया तुमने…
तुम संग प्यार की, रुत बरस रही मुझ पर…
के अपने रूप रंग, ‘बब्बू’ नहला दिया तुमने…
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/सी. एम्. शर्मा (बब्बू)
Lovely Babbu ji. Full of romance .
बहुत बहुत आभार आपका……
wah sir…..aaj to dikh raha apka pyar…..hahahahahaha…..behtarin sir…………..
हा हा हा…..बहुत बहुत आभार आपका……
बहुत सुंदर……………………..
बहुत बहुत आभार आपका……
Bahut bahut hi sundar kavita Sir!!!????
बहुत बहुत आभार आपका…स्वातिजी…
क्या भाव पिरोये है आपने …………आनंद आ गया ……………….अति सुन्दर बब्बू जी !!
कोई भी होगा कहाँ, इतना खुशनसीब यहां…
के जिस्म जाँ में मेरे, घर बना लिया तुमने…
आपके आनंद से हमें भी आनंद आ गया…..तहदिल आभार आपका….निवतियां जी…..
Very nice poetry, Sharmaji….
बहुत बहुत आभार आपका….अनुजी…..
बहुत खूब………., अति सुन्दर………..।
बहुत बहुत आभार आपका मीनाजी……