मेरा प्यार मेरा इकरार हो सनम तुम,
मेरी तलाश, मेरा इंतज़ार हो सनम तुम,,
पाया तुझे जुस्तजू के बाद हमसफ़र मेरे,
मेरा वजूद मेरा इजहार हो सनम तुम,
न रोक आज मुझ को कह ने दे सभी से,
मेरा मनन, मेरे ही दिलदार हो सनम तुम,,
दे देने दे मुझे कोई नाम अपने रिश्ते को,
मेरी ख़ुशी मेरी जीती हार हो सनम तुम,,
कुछ और है नहीं, अब उम्मीद रब से मुझ को,
मेरे हमसफ़र, मेरे दिलदार हो सनम तुम,,
मनिंदर सिंह “मनी”
Waaaaaaah……………….
thank you so much savita ji………………………..
मेरी साँसो की तार हो तुम। बहुत ही अच्छा मनी जी। मजा आ गया।
बहुत बहुत शुक्रिया सर आपके इस उत्साहवर्धन के लिए……………….
Very very nice sir????
thank you so much dr. swati ji…………………………
बहुत खूब………..
thank you so much sir………………………………….
बहुत खूबसूरत मनी जी
thank you so much sir…………………
बहुत सुन्दर रचना मनी जी .
thank you so much meena ji………………
वाह क्या बात है मनी…………………क्या खूब ले पकड़ी है …………………अति सुन्दर !!
hahahaha….sir sab aap se sikh raha hu…..tahe dil dhanywad apka……iss utsahvardhan ke liye…………..