स्वाति के दोहे..??
1-कर्म गर तुम श्रेष्ठ करोगे, फल भी श्रेष्ठ तुम पाओगे।
भाग्य भरोसे रहे अगर तुम, हाथ मलते रह जाओगे।।
2-बीते कल को बिसार कर,आगे की तू सोच।
अतीत के दुःख में रहा गर,भविष्य की भी दुर्गति होय।।
3- काँटे राह में बोओगे, तो फूल कहाँ से पाओगे।
दुःख किसी को दिया है गर,सुख तुम भी न पाओगे।।
4- हौसला बुलन्द हैं गर,मंजिल को पा जाओगे।
हिम्मत तुम हार गए तो, जीत कभी न पाओगे।।
5- फूलों की चाह अगर है,तो काँटे भी संग में पाओगे।
दुख के काँटे झेल गए,तो जीवन को फिर मेहकाओगे।।
By: Dr Swati Gupta
Marvellous write Dr. Swati. By chance some of the sentiments also match the ones in my recent poems. Isn’t it?
Thanks sir…. That’s true…??
फूलों की चाह अगर है,तो काँटे भी संग में पाओगे।
दुख के काँटे झेल गए,तो जीवन को फिर मेहकाओगे।।
बहुत ही बढ़िया, सुश्री स्वाति जी…धन्यवाद…
bahut khub swati jee.
बेहतरीन रचना……………….अंतिम पंक्ति के भाव तो बहुत ही लाजवाब.