कोई ना जाने कब वक्त दगा कर जाये,
चलती फिरती देह कब मिटटी हो जाये,
लंबी उम्र जीने की सोच सोच रहा हर कोई,
बेखबर हो जाने कब खुद ख़्वाब हो जाये,
बड़ी ख़ुशी की आस में छोटी ना निकल जाये,
हँस लो यारो जाने कब वक्त मुख मोड़ जाये,
कभी खबर सार पूछ लिया करो अपनों की,
जाने कौन सी मुलाकात कब आखिरी हो जाये,
अमीरी- गरीबी बिना देखे मौत आ जाये,
सिवा कर्मो के इस जग से साथ कुछ ना जाये,
कभी भी अपनों से मिलने के बहाने मत ढूंढो,
अपना ही मजा है जो मुलाकात बेवजह हो जाये,
कुछ करो ऐसा दिलो से रंज ओ गम मिट जाये,
प्यार का गीत गाता हर कोई इस जग से जाये,
अपने कर्तव्यों से भागना जीवन का मकसद नहीं,
इंसान वही जो कर्तव्यो को निभाता इस जग से जाये,
लिबासो के खेल में कहीं अपने बदले ना जाये,
हमदर्द वही जो मुश्किल में साथ खड़ा हो जाये,
शक का कीड़ा मत उपजने देना मन के अंदर,
जुड़ता नहीं विश्वाश फिर से गर एक बार टूट जाये,
चलो खुद जियो और जीने दो वाली बात हो जाये,
सुलगते अल्फाज़ो में कोई प्यार का लफ्ज़ हो जाये,
खुद के काम ना आने वाली चीज़ों को बॉट दीजिए,
शायद किसी की बड़ी जरूरत एकदम पूरी हो जाये,
बुजर्गो संग बैठ हँसते हुए कुछ महकते पल हो जाये,
बच्चो संग बेफिक्री वाली बचपन की मस्ती हो जाये,
अपने अपने बंद कमरो से निकालकर चलो आज,
हँसी से महकते हुए आँगन वाली कोई बात हो जाये,
हद से ज्यादा घातक लफ़्ज़ों की कहीं मार ना हो जाये,
हर वक़्त हर किसी को सोच समझकर बात कही जाये,
अपनी गलती पर माफ़ी मांगने वाला कभी छोटा नहीं होता,
और माफ़ी दे कर बड़े दिल वाली बात हो जाये,
मैं कौन हु कभी कभार सवाल खुद से हो जाये,
निकालकर कुछ लम्हे खुद से बात हो जाये,
बिलकुल बेसमझ है “मनी” लफ़्ज़ों की दुनिया से,
माफ़ कर देना गर उसके लफ़्ज़ों से सिर दर्द हो जाये,
कोई ना जाने……….मनिंदर सिंह “मनी”
अति सुंदर……………………आपकी रचना तो निखरती जा रही है. याद रखियेगा मैंने क्या कहा था.
Bahut bahut abhar Vijay ji apka……
जाने कौन सी मुलाकात कब आखिरी हो जाये, bahut achchhi pankti mani jee. bahut sunder.
thank you so much sir……………..
बहुत खूबसूरत मनी…….आनन्दित कर दिया आपने………………..आपकी विचारशीलता और शब्दो का तालमेल बहुत अच्छे से उज्ज्वलित हो रहा है …….खुद करे आपकी लेखनी इसी तरह चलती रहे … और हमे अच्छी अच्छी रचनात्मकता का रसास्वादन मिलता रहे !!
bahut bahut dhanywad nivaatiya ji iss utsahwardhan ke liye aapka…..aap apna ashisrwad banaye rakhe………………..
बहुत ही खूबसूरत…………. लाजवाब रचना मनी जी ।
thank you kajal ji…………………
Lovely write Maninder. But you are forgiven for length of the work.
thank you so much sir…………
मनी जी………सर दर्द तो हो गया मेरा की ऐसा मुझे क्यूँ नहीं आता लिखना……..हा हा हा…….आप का जो अंदाज़ है और लिखने की गति…लय बहुत ही उत्तम है…..बस आप आगे ही आगे बढ़ते रहो………..लाजवाब……….
bahut bahut abhar apka iss sarahana ke liye……………….aap hamesha hi apna ashirwad banaye rakhe
Sir!!!bahut hi sahi aur achhi baat kahi hai aapne kavita ke madhyam se????
thank you dr swati ji……………….