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दिल के भावों को लेखनी का सहारा है, समाज को बेहतर बनाना कर्तव्य हमारा है. आइये आपका स्वागत है हमारे लेखन के दरबार में, पलकें बिछाए बैठे हैं हम आपके इंतज़ार में.
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पटना, बिहार
सही कहा आपने विजय जी। सहना या सहन करना केवल मज़बूरी होती है।
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद.
bahut hi umda vijay jee. wah …. kya baat hai.
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद.
वाह……क्या मजबूर…और मगरूर का ब्यान किया है…..बेहतरीन…….
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
सत्य को सुन्दर शब्दावली में संयोजित कर दिया विजय जी .अति सुन्दर…….।
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
Very well said Vijay………..
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
वाह मजबूरी की क्या मिसाल पेश की है ………..अति सुन्दर !!
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
Very nice……..
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार.
सत्य कथन है ये विजय जी ……. बहुत खूब ……
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद.