जिसने दर्द दीआ हे,,,,,,,
वोही मेरा दवा भी हे……
दवा के बिना जो हालत होती हे,,,,,,
वो हाल हे मेरी………
अगर वो दर्द्से भी मुहोबत कर्लो,,,,,,
तो फिर दवा का भी इंतेजार ना होगी ये मेरे दोस्तों………
दर्दे दिल भी कभी दवा बन सकती हे,,,,,
ये सोच नहीं थी मेरी…………
अब ये भी पता लग गयी की,,,,,,
दर्द मे भी दवा छुपि हे………
बस अप्ने नज़रिया बदल नेकी ज़रूरत हे……..
दर्द मे भी ख़ुसी हे,,,,,,,
जिसने ढूंड लिया….. बस उससे जीना ही आगया…………….
यहाँ वहाँ ख़ुसी ढूँडने की कोसिश ख़तम करो,,,,,,,,,
अपने अंदर ही एकबार झांकलो तो………..
ख़ुसी का समंदर ही तुममे समाया हे,,,,,,,,,,,
बस तुम्हे अपने आप को पेहेचनेकि ज़रूरत हे……………
बहुत बढ़िया।टंकण त्रुटियाँ सुधार ले तो बहुत अच्छा हो जाएगा। धारिती जी।
धरित्रि मल्लिक जी लिखा तो आपने काफी बढ़िया है किन्तु हिंदी टाइपिंग की काफी त्रुटियां है इसमें।
Dard se wo rishta bana lena bhi kuch khas hai …. kafi ache se aapne vyakt kiya h…Dharitri Ji
सुंदर ………..
भावनात्मक रूप में रचना सुन्दर है …………टंकण त्रुटि के कारण रचना उलझी लगती है …………….कृपया सुधार करे !
अति सुंदर अभिव्यक्ति…………………………….. एक बार शराब (गजल) पढ़कर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
धीरे धीरे इस क्षेत्र में भी प्रगृतिशील हो जाओगी…
बढ़िया, आप सुधिजनो की बातो को भी ध्यान से देंखे
बहुत ही बढ़िया…..जैसे सब ने कहा आप बस पोस्ट करने से पहले देख लिया करो गलती……
Very Nice….Thanks….