उनसे मिलते ही हम उनके हो गए…
आँखों ही आँखों में हम होश खो गए…
जादू है तिलिस्म वो क्या पता मुझे..
रोका था खुद को पर मजबूर हो गए…
किस किस को बताते की हमें क्या हुआ है …
आने का उनका सुना के होश खो गए…
आँखें उठी झुकी बस इतना है पता…
इज़हारे इकरार से हम उन के हो गए…
यह कैसी सी मुस्कान थी लबों पे हुस्न के…
बिन कुछ कहे सुने वो अपने हो गए…
“बब्बू” ख्याल उसका वो मेरा ख्याल…
ऐसे ही ख्याल में एक जान हो गए…
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/सी. एम्. शर्मा (बब्बू)….
हर शेर सवा शेर, आपकी काबिलियत का लोहा मानते है हम
सर आपकी प्रशंसा का दिल से आभार …..आप का सानिध्य मिलता रहे बस दुआ है…..
सुरेन्द्र जी प्रंशसा से पूर्णतया सहमत . अति सुन्दर शर्मा जी .
मीनाजी……तहदिल आभार………..आप मार्गदर्शन करते राहियेग….
Beautiful Babbu ji ……………….
बहुत बहुत आभार आपका …मधुकरजी…..
क्या बात है सर ! वाकई में बहुत खूब।
आपको पसंद आयी…..दिल से आभार…..
बहुत ही खूबसूरत………… बहुत ही लाजवाब……….. क्या बात है।
शुक्रिया ….आभार दिल से…काजलजी
बहुत खूबसूरत रचना बब्बू जी. ………बेमिसाल भाव प्रस्तुत किये है आपने !!
सर आप मार्गदर्शन देते रहो सुधार हेतु…..दिल से आभार बहुत बहुत…..निवतियांजी……