तुम्हारे बिन तड़पती हूँ अब तो मेरे पहलू में आ जाओ
मेरी सांसो में महको तुम और खुशबू में लिपट जाओ
बड़ी मजबूर हूँ तुमसे अब मैं कुछ भी कह नहीँ पाती
मेरी आँखो में झाँको तुम और सब कुछ समझ जाओ
मेरा तो रोम रोम हर इक पल तुम्ही को याद करता है
मिल कर तुम सुनो मेरी और कुछ अपनी बता जाओ
तुमने कहा था मेरा साथ किसी हालत में ना छोडोगे
सुन लो मेरी खामोशी और अपना वादा निभा जाओ
तुम्हारे ख़याल आते है तो मैं खुद मुस्कराने लगती हूँ
तुम मेरे सामने आकर मेरी वो चहचहाट तो दे जाओ
शिशिर मधुकर
बेहतरीन रचना सर……….
Thank you Alka………….
बहुत अच्छे शिशिर जी।
Thank you Manjusha ji
nice write………………… with good thought
Hearty thanks Surendra
Nice poem……………,
Thank you Meena ji
very nice sir……………………….
Hearty thanks Maninder
बहुत तड़पना है सर…..लाजवाब भावों से रचित……..
Thank you very much Babbu ji for lovely comment
वादे को निभाइये और जल्दी सामने जाइये. पड़नेवालों के भी दिल के टुकड़े हो रहे हैं. अति सुंदर……………………..
Heart thanks Vijay for your affectionate comment.
विषादपूर्ण भावो का खूबसूरत चित्रण ……….अति सुन्दर शिशिर जी !
Thank you very much Nivatiya ji
लाजवाब शिशिर जी
Hearty thanks Amit………….