तुम जो साथ होते हो,
हर पल सुहाना लगता है,
अमावस्या की रात में भी,
पूर्णिमासी का चाँद चमकता है,
तेरे कदमो की आहट से,
रूह को चैन आता है,
मेरे इस मन की बगिया में,
फूल ही फूल महकाता है,
समां दिल में भड़कती है,
उम्मीद की लौ जलाती है,
साथ तेरा पाकर,
जिंदगी मुस्कुराती है,
मुश्किले हो चाहें कितनी भी,
हिम्मत मिल ही जाती है,
मेरे दिल के हर कोने से,
एक ही आवाज़ आती है,
प्रदीप के प्रकाश से ही,
स्वाति जगमगाती है।।
By:Dr Swati Gupta
Wonderful. Salute to your love and dedication to Mr. Gupta. Dr. Swati.
Thanks a lot….Sir!!!!
आपके प्रियतम को समर्पित प्रेमभावो से सजी खूबसूरत रचना स्वाति……. ईश्वर आपके “प्रदीप” की लौ सर्वदा जगमगाता रहे…….अति सुन्दर !!
Thanks a lot sir for your blessings.
बहुत ही सुन्दर…प्यारे भावों से रचित रचना….भगवान् आप दोनों को हमेशा प्यार के अटूट बंधन में प्रसन्नता पूर्वक…सेहतमंद…रखे थोड़ी सी चटनी के साथ… हा हा हा……
धन्यवाद सर!!! जरूर सर…चटनी के बिना तो जिंदगी में स्वाद ही नही होगा??।
Thanks a lot for your blessings
ईश्वर आपकी जोड़ी सलामत रक्खे…………अति सुंदर……………………………
Thanks a lot for you wishes…vijay ji!!!
bahut hi sunder bhavo se yukt rachna apki………………….
Thanks tons ….. Mani ji!!!!
अति सुंदर आदरणाीया सादर नमन
Thanks a ton…. abhishek ji!!!
मेरी भी अपार शुभकामना आपको mam! रचना भी बेहतरीन
Lots n lots of thanks for your wishes…sir!!
स्वाती जी आपका साथ सदा बना रहे .बड़ी प्यारी रचना है .सदा खुश रहिये
Thanks a lot for wishes.
. kiran ji!!!
बहुत ही खूबसूरत और प्रेम भावो से परिपूर्ण आपकी ये रचना मन को वशीभूत कर रही है।……………….लाजवाब स्वाती जी।
Thanks in tons… sheetlesh ji for your nice words…
Bahut hi khubsurat rachna..
Thanks a lots n lots Anu ji