पवित्र मन
आत्म संयम
तपस्वियों के से आचरण
शांत चित ्
आत्मा और सदाचार
ईमान
सहानुभूति
निर्भरता
सामथ्र्य
साहस-बल-धैर्य
और संगठन
सत्य-अहिंसा
न्याय-नीति
परोपकार
आत्मविश्वास
प्रेम
मृदुभाषी
सेवा
सनातन धर्म
मिथ्या नहीं है
कर्मयोगी
धर्मनिष्ठ
उपासना है
पाषाण हृदय
हकीकत है
निष्कलंक
निर्भरता
पूज्यनीय है।
तप-त्याग
आत्मा का परिचय है
आदर्श
महान शक्ति है
मृग तृष्णा मन
स्वप्न
वासना पे्रम उमंग
जवानी और चंचलता
रूप पर अटक जाती है
भटक जाते हैं
सपनों के गहरे रिस्तों पर
आसार वस्तु
जिसकी कोई हकीकत नहीं
धोखा है
फरेबी
दुर्बलताओं का प्रतिक है
भ्रम का जाल
तड़पा-तड़पा कर
मार देने वाला
एक निर्मोही मन
जो रह जाता है शेष
Writer Bindeshwar Prasad Sharma (Bindu)
D/O Birth 10.10.1963
Shivpuri jamuni chack Barh RS Patna (Bihar)
Pin Code 803214
बहुत खूब शर्मा जी। आपकी भाषा शैली और लिखने का अंदाज बहुत ही सृजनात्मक है।
Aap ke badhai ke liye bahut bahut sukriya Sitlesh jee.
very creative…. nice….
Very very thank you shrija jee for your comments.
मन के सामर्थ्य…उसकी स्थितयों का बहुत खूबसूरत चित्रण……कमाल हैं आप….
Babu jee sab ke sab bhagwan ki margi hai thank you sir.
बहुत ही सूंदर…………………………………
Thanks Vijay jee bahut deen ke bat hum mileyn hai ishkey liye sorry.
जीवन की नश्वरता और जीवन में सतगुणों के महत्त्व पर सुन्दर विचार
Madhukar sahab thank you for your comments.
अत्यंत खूबसूरत …………..!!
D K Sahab aap sab kripa banaye rakhen main ishi taraha se likhta rahunga.
बेहतरीन, उच्च कोटि की विचारो का समावेश है इसमें।
Singh sahab bahut bahut dil se namaskar and soory for long gape.