मुझे कुछ इस तरह बस अपनी सांसो में बसा लो तुम
जिस पल भी मेरी याद आए मुझको पास पा लो तुम
तुम्हारे मन की हर एक बात को मैं फ़िर जान जाऊँगा
नहीँ बच पाएगा सुख दुख कोई जिसको छुपा लो तुम
मुद्दते हों गई जब हँसते थे हम इस तंगदिल ज़माने में
चलो फ़िर तुमको हँसा लू मैं और मुझको हँसा लो तुम
अगर दिल को दुखाते हैं ये सब अपने और पराए लोग
झूठे रिश्तों की हर सच्चाई को मिलकर निभा लो तुम
मुहब्बत जिसकी आदत हों उसका क्या करें मधुकर
नही बदलेगा वो फ़िर दुनियाँ सताए या सता लो तुम
शिशिर मधुकर
दिल की बात कही ख़ूबसूरत अंदाज़ में…….बहुत खूब सर………………
Thanks a lot Maninder
Bahut khoobsoorat pyar ke bhaavon se rachit rachna……
Thanks for .valuable comment s Babbu ji
मोहब्बत जिसकी आदत हो, उसका क्या करे मधुकर
Nice respeted shishir ji
बहुत बहुत शुक्रिया सुरेंद्र
बहुत सुंदर गजल ………………………..बहुत खूब……………..
हार्दिक आभार विजय…………………………………
बहुत खूब शिशिर जी ………..हर्ष की बात है की अच्छा समय दे पा रहे है आजकल लेखन में आप !!
It is very true. I thank you very much for regular responses.
बहुत ही सुंदर रचना मधुकर जी।
हर पंक्ति बेहतरीन…………… ।
काजल जी ह्रदय से धन्यवाद.
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना…सर।।
Thank you very much Dr. Swati for comments.