ये मेरा वतन
ये मेरा वतन, ये मेरा वतन
ये मेरी मोहब्बत मेरा सनम
ये मेरा वतन, ये मेरा वतन
दुश्मन ने जब भी तोडा अमन
कोशिश फिर की बर्बाद-ए चमन
दुश्मन को कभी ना बक्शा है
मुँह तोडा दिया की रक्षा है
सरहद की सुरक्षा मेरा कर्म
ये मेरा वतन, ये मेरा वतन
हर सांस में मेरी तिरंगा बसा
मेरे सर पे चढ़ा है इसका नशा
ये मेरी आन है ये मेरी शान
इस पर कर दूं में जाँ कुर्बान
खाता हूँ कसम खाता हूँ कसम
ये मेरा वतन, ये मेरा वतन
यहाँ शहीद हुए कई वीर जवान
बस देश की खातिर दे दिए प्राण
ज़र्रा भी ना दुश्मन ले पायेगा
मिटा देंगे उसका नामोनिशान
चाहे जितने भी वो कर ले यत्न
ये मेरा वतन, ये मेरा वतन
सर्वजीत सिंह
sarvajitg@gmail.com
ये मेरा वतन. ……जय हिन्द! !!!!!!!सर
धन्यवाद आनन्द ………………………….. जय हिन्द !!
देशभक्ति से ओतप्रोत खुबसूरत रचना अति सुन्दर सर्वजीत जी ।
खूबसूरत प्रशंसा के लिए बहुत बहुत आभार ………………………… निवातियाँ जी !!
अत्यंत खूबसूरत देश भक्ति एवं वीर रस से ओतप्रोत रचना सर्वजीत
खूबसूरत प्रशंसा के लिए बहुत बहुत आभार ………………………………….. मधुकर जी !!
देश भक्ति की प्रबल भावना जगाती यह रचना अत्यंत ही सुरुचिपूर्ण है। आपको साधुवाद।
जय भारत जय मातृभूमि!
उत्साह वर्दक और बेमिसाल प्रशंसा के लिए …………………………. तहे दिल से शुक्रिया सुरेन्द्र जी – जय हिन्द !!
Jay hind……………
धन्यवाद सविता जी …………………………….. जय हिन्द !!
मातृभूमि को समर्पित खूबसूरत देशभक्ति रचना………!
बहुत ही सुंदर भावो से रचित आपकी यह देशभक्ति से ओतप्रोत रचना…………….बहुत ही बढ़िया सर्वजीत जी…………………….
Laajwaab……desh bhakti se oat prot…..jai hind….sawtantarta diwas ki aapko….sab ko badhaayee……
बहुत बहुत आभार ……………………. शर्मा जी !!