Homeअज्ञात कवि“मेरी तन्हाई ” ——काजल सोनी “मेरी तन्हाई ” ——काजल सोनी Kajalsoni अज्ञात कवि 31/07/2016 16 Comments मोहब्बत मे तेरी तुम्हे भुला दे ,ऐसा इरादा नही कोई । तुझे पाने के सिवा दिल से, दुसरा वादा नही कोई । तुम्हारी बेवफाई को देखकर, निकाल देते तुम्हे इस दिल से शायद , मगर कमबख्त दिल मे दरवाजा नही कोई । । “काजल सोनी “ Tweet Pin It Related Posts वाह रे दुनिया – बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा (बिन्दु) तेरा सहारा मिला – अनु महेश्वरी संघर्ष About The Author Kajalsoni 16 Comments अरुण कुमार तिवारी 31/07/2016 वाह भावों पर सहज शब्दों की पकड़ यथेष्ट…….. Reply Kajalsoni 31/07/2016 बहुत बहुत धन्यवाद आपका अरुण जी । Reply mani 31/07/2016 bahut hi sunder……………………….. Reply Kajalsoni 31/07/2016 मनी जी बहोत शुक्रिया आपका । Reply C.m.sharma(babbu) 31/07/2016 बेहतरीन देने का मन नहीं इस लिए……लाजवाब…..बेमिसाल…..बेहतरीन……?? Reply Kajalsoni 31/07/2016 आप कुछ भी दे मायने ये रखता कि आप प्रतिक्रिया देते तो है । बहुत बहुत धन्यवाद आपका । Reply C.m.sharma(babbu) 31/07/2016 वैसे रूल के खिलाफ है….आने के साथ जाने क रास्ता ज़रूरी होता….कॉन्सट्रक्षण रूल्स…हा हा हा….. Reply Kajalsoni 31/07/2016 काश दिल पर कंस्ट्रक्शन रुल चलते सर्मा जी । तो मै दरवाजे के साथ साथ 4-5 खिड़किया भी बना देती । बहुत बहुत धन्यवाद आपका । Reply Shishir "Madhukar" 31/07/2016 Nice write Kajal ji. Some pruning at one or two places will make it more attractive. Reply Kajalsoni 31/07/2016 धन्यवाद आपका शिशिर जी । मेरी कोशिश रहेगी कि मै और भी अच्छा लिख सकु अगली बार । Reply अभिषेक शर्मा ""अभि"" 31/07/2016 लाज़वाब खूबसूरत Reply Kajalsoni 31/07/2016 आपका कोटी कोटी आभार अभि जी । Reply निवातियाँ डी. के. 31/07/2016 मनोभावो को शब्दो मे संजोने का बेहतरीन कार्य……।। Reply Kajalsoni 31/07/2016 उत्साहवर्धन प्रतिक्रिया के लिए कोटी कोटी धन्यवाद आपका निवातिया जी । Reply sarvajit singh 31/07/2016 आँखों के रस्ते से ही दिल में मोहब्बत समा जाती है और आँखों से ही किसी की बेवफाई को देख कर दिल से निकाल दिया जाता है …………………………… बहुत ही बढ़िया काजल जी !! Reply Kajalsoni 01/08/2016 बहुत बहुत धन्यवाद सर्वजीत जी आपका । बिल्कुल सही कहा आपने कि ऑखो के रास्ते ही दिल मे कोई आता और जाता है । हम तो खामोखा खिड़की और दरवाजे ढुढ रहे थे । Reply Leave a Reply Cancel reply
वाह
भावों पर सहज शब्दों की पकड़
यथेष्ट……..
बहुत बहुत धन्यवाद आपका अरुण जी ।
bahut hi sunder………………………..
मनी जी बहोत शुक्रिया आपका ।
बेहतरीन देने का मन नहीं इस लिए……लाजवाब…..बेमिसाल…..बेहतरीन……??
आप कुछ भी दे मायने ये रखता कि आप प्रतिक्रिया देते तो है ।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
वैसे रूल के खिलाफ है….आने के साथ जाने क रास्ता ज़रूरी होता….कॉन्सट्रक्षण रूल्स…हा हा हा…..
काश दिल पर कंस्ट्रक्शन रुल चलते सर्मा जी ।
तो मै दरवाजे के साथ साथ 4-5 खिड़किया भी
बना देती ।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
Nice write Kajal ji. Some pruning at one or two places will make it more attractive.
धन्यवाद आपका शिशिर जी । मेरी कोशिश रहेगी कि मै और भी अच्छा लिख सकु अगली बार ।
लाज़वाब खूबसूरत
आपका कोटी कोटी आभार अभि जी ।
मनोभावो को शब्दो मे संजोने का बेहतरीन कार्य……।।
उत्साहवर्धन प्रतिक्रिया के लिए कोटी कोटी धन्यवाद आपका निवातिया जी ।
आँखों के रस्ते से ही दिल में मोहब्बत समा जाती है और आँखों से ही किसी की बेवफाई को देख कर दिल से निकाल दिया जाता है …………………………… बहुत ही बढ़िया काजल जी !!
बहुत बहुत धन्यवाद सर्वजीत जी आपका ।
बिल्कुल सही कहा आपने कि ऑखो के रास्ते ही दिल मे कोई आता और जाता है ।
हम तो खामोखा खिड़की और दरवाजे ढुढ रहे थे ।