जो कायर होते हैं वो पीठ पर वार करते हैं ।
हमेशा दूसरे की ओट लेकर प्रहार करते हैं ।
बुजदिली को हौंसले का नाम न दो तुम,
हौंसला तो हमारे ही सैनिक यार करते हैं ।
याद करो पिछले सारे युद्ध के क्या थे हालात,
बांग्लादेश बन गया कश्मीर पर बात करते हैं ।
हममें अबतक इंसानियत है इसलिए तुम जिन्दा हो,
मिटने को कुछ बचा नहीं, मिटाने की बात करते हैं ।
कश्मीर की रट लगाए, बलूचिस्तान भी जा रहा,
सेनाध्यक्ष कह रहा लोकतंत्र का शिकार करते हैं ।
माँगने की आदत पड़ी मांगे विकास की रोटी,
उधार का धन मिलते ही बारूद भरा करते हैं ।
विजय कुमार सिंह
vijaykumarsinghblog.wordpress.com
Note : ब्लॉग पर तस्वीर के साथ देखें.
बेहतरीन…………..
सराहना के लिए ह्रदय से आभार……
lajawab……..
बहुत-बहुत धन्यवाद mani जी.
Marvellous piece of work
सराहना के लिए ह्रदय से आभार सर.
बहुत ही अच्छी रचना विजय जी ।
बहुत-बहुत धन्यवाद Kajalsoni जी.
बहुत खूब ……………….!!
सराहना के लिए ह्रदय से आभार सर.
Nice……………,
सराहना के लिए ह्रदय से आभार.
हौसला अफजाई करती हुई शानदार कृति है
बहुत-बहुत धन्यवाद Dr Chhote Lal जी.
विजय जी देशभक्ति की भावना जगाती सुंदर गजल!
बहुत-बहुत धन्यवाद सुरेन्द्र जी.
दुश्मन को सबक सिखाने वाली रचना ————– बहुत ही बढ़िया ………………………………….. विजय जी !!
सराहना के लिए ह्रदय से आभार.