आँखों में आसुओ को बसाने की,
आदत सी बन गयी,
तुझको अपना बनाने की ख्वाहिश,
ख्वाहिश सी बन गयी,
जख्म दिए तूने हर वक्त हर रोज,
कुरेदने की चाहत सी बन गयी,
पहले थी जुस्तजू तुझको पाने की,
तेरे ना लौटने की बात, राहत सी बन गयी,
तेरी मुस्कराहट, तेरी यादें, तेरी बातें,
बन परछाई मेरे साथ जुड़ गयी,
तेरे नाम का मेरे नाम से पहले लिया जाना,
मेरी पहचान सी बन गयी |
बहुत खूब मनिंदर ………………
शुक्रिया शिशिर जी आपका बहुत बहुत
दिल की बात शब्दों के रास्ते कागज पर उकेर दिया है आपने मनिंदर जी…….!
जी सुरेन्द्र जी कुछ ऐसा ही है…………..धन्यवाद पढ़ने के लिए
बहुत खूबसुरत …………..।।
शुक्रिया निवातियाँ जी………….
Waah bhai waaahhhh…..
शुक्रिया सी एम शर्मा जी………….
बहुत खूब…………………… मनी जी
शुक्रिया अभिषेक जी…………
बहुत खूब ……………………………..मनी !!
बहुत बहुत शुक्रिया सर्वजीत जी आपका |
बहुत खूबसुरत ……
शुक्रिया अकिंत जी…………