निगाहें भी अकसर फ़रेबी बन जाया करतीं हैं ……
हकीकत कुछ और होता है बयां कुछ और करतीं हैं…
छुपातीं हैं अपने अश्कों को और लबों पर दिखावटी मुस्कुराहट बरक़रार रखतीं हैं ……
और पलकों पर सपनों के बोझ को यूंही सजाया करतीं हैं ….
निगाहें भी अकसर फ़रेबी बन जाया करतीं हैं
हकीकत कुछ और होता है बयां कुछ और करतीं हैं…
बहुत खूबसुरत……………।।
धन्यवाद सर …………..
I like your poetry……………….
Thanku So much……….
बेहतरीन अंकिता……..
बहुत आभार सर आपका ….
Bahut hi khoobsoorat…..kya baat hai farebi nigaahon ki….yahan “labjon” hai shayad aap “labon” likha chaahti thi…typing mein kuchh hua…..
गलती बताने के लिए शुक्रिया …… आभार
No way….Yeh typing karte time ho jaata hai…galti nahin Yeh…aapke vishaal hirday ka aabhaar…
सच में निगाहें तो फरेबी हो ही जाया करती है,……………………………….बहुत ही बढ़िया अंकिता जी !!
Wah niaghe farebi………………..kya bat hai
बहुत खूबसुरत…………………………