( नमस्ते दोस्तों ।ये मेरी पहली रचना है अाशा करता हू कि आपलोगों को पसन्द आएगी ।)
सुहाना था सफर आसमान में बादल छाए थे,
भरी बरसात के बीच में हम तुमसे मिलने आए थे,
दिल में जुदाई की तड़प आंखों में मिलन की अरमान लिए,
दौड़ें भागे चले आए थे चेहरे पर मधुर मुस्कान लिए,
सोचते आ रहे थे मिलते हैं तुझे सीने से लगा लेंगे,
हम पर जो गुजरी है वह हर बात तुझे बता देंगे,
और तुम से एक वादा लेंगे साथ जीने मरने का,
हमें भी मिल जाएगा मौका तेरे लिए सजने सवरने का,
इंतजार के लमहे काटे नहीं कट रहे थे ,
आसमां से बादल भी धीरे-धीरे हट रहे थे,
रुक गई बरसात भी और थम गया भी आसमां,
दिल से आवाज आ रही थी आजा ना और आजमां,
धीरे धीरे दिन बीत गया और शाम होने लगी,
वफ़ा की चाहत भी अब दिल में बदनाम होने लगी,
सोचा किसी मजबूरी में हो गई होगी देर आने में,
बुरे बुरे ख्याल भी आ रहे थे दिल में अनजाने में,
इंतजार ही इंतजार में रात हो गई,
पर तुम ना आई ना जाने क्या बात हो गई,
आसमान में अपनी प्रकाश लिए ” अमर ” चांद निकल आया,
पर जिस चांद का हम इंतजार कर रहे थे वह मेरा चांद ना आया !
अमर चंद्रात्रै ।
Very nice………………………………………..
Dil se dhanyawad
wah amar ji……………
अपने खूबसूरत मनोभावों को शब्दों में संजोने का खूबसूरत प्रयास ……जारी रखे !!
पहली ही रचना ………. बहुत बढ़िया पाण्डेय जी !!
Aap sabhi ko dil se dhanywad…
बहुत खूबसूरत भाव……
धन्यवाद babucm ji……………
तुम ना आई ना जाने क्या बात हो गई………बहुत अच्छे…
Thank you Markand Sir…………..
Thank you Markand Sir…………..bahut bahut aabhar