झगडे फसाद की जड है जुबां का लहजा।.
मोहब्बत बेपनहा बढाता है दिलो मे लहजा।.
सिर्फ लहजे से कई महात्मा बन बैठे है आज।.
इसी के दमपे पाखंडीयों ने पेहने है कलयुग मे ताज।. (अशफाक खोपेकर)
writer / director of hindi marathi films member of f.w.a,m.c.a.i and i.f.t.d.a, chairman of dadasaheb phalke film foundation mumbai ,india.managing director of afreen channels [p].ltd, proprietor of afreen music.
आशफाक जी आपने जुबां के द्वारा कहे गये लफ़्ज़ों का वर्णन अपने अंदाज में किया जो कि बेहद ख़ूबसूरत है…….आपकी यह रचना अत्यंत सजग व भाव अनुकूल है…….ऐसी ही भावपूर्ण एक रचना उसकी जुबां में धार है को आप शब्दनगरी के माध्यम से पढ़ व अपनी अनूठी रचनाओं का संकलन आप इस ब्लॉगिंग साईट पर लिख भी सकतें हैं…..
वाह
अच्छा कटाक्ष किया है आपने
Nice observation…….
Well said ………beautiful
बहुत खूसूरत कटाक्ष…..
बहुत खुब……………..
खूसूरत कटाक्ष………………………………………
आशफाक जी आपने जुबां के द्वारा कहे गये लफ़्ज़ों का वर्णन अपने अंदाज में किया जो कि बेहद ख़ूबसूरत है…….आपकी यह रचना अत्यंत सजग व भाव अनुकूल है…….ऐसी ही भावपूर्ण एक रचना उसकी जुबां में धार है को आप शब्दनगरी के माध्यम से पढ़ व अपनी अनूठी रचनाओं का संकलन आप इस ब्लॉगिंग साईट पर लिख भी सकतें हैं…..
धन्यावाद मै जरुर शब्द नगरि पर पोस्त करुन्गा