प्यार में ऑटोनोमी
लाखों है हसीना पर मुझको एक है चुननी
ना हो बाप सड़ियल जिसका ना हो माँ निकम्मी
मुझको तो चाहिए प्यार में ऑटोनोमी
हाँ- हाँ प्यार में ऑटोनोमी
सब की तरह मैँ भी माँगूं प्यार का इक स्टेट
ना हो जिसकी बॉउंड्री ना लगा हो कोई गेट
प्यार की नदियां बहे यहां बहें प्यार के सागर
प्यार के इस गुलशन को लगे ना बुरी नज़र
प्यार करने वालों की होगी अपनी प्रेम भूमि
मुझको तो चाहिए प्यार में ऑटोनोमी
हाँ- हाँ प्यार में ऑटोनोमी
प्यार मेँ हम जीते हैं प्यार मेँ हम तो मरते
प्यार करने वाले किसी बात से नहीं डरते
प्यार करने वालों के तो होंगे अपने रूल
ना है जुर्म प्यार करना ना ही कोई भूल
प्रेम नगर मेँ रहने वाला हर शख्स होगा प्रेमी
मुझको तो चाहिए प्यार में ऑटोनोमी
हाँ- हाँ प्यार में ऑटोनोमी
प्यार की होगी सुबह अपनी प्यार की होगी शाम
प्यार ही होगी ज़िंदगी अपनी प्यार ही होगा काम
प्यार की होली प्यार की दिवाली हर रोज़ मनायेंगे
प्यार मेँ इक दूजे का साथ जन्मों तक निभायेंगे
दिलभर दे आवाज़ अगर फिर दौड़ के आये सोहनी
मुझको तो चाहिए प्यार में ऑटोनोमी
हाँ- हाँ प्यार में ऑटोनोमी
गीतकार : सर्वजीत सिंह
sarvajitg@gmail.com
प्रेम की स्वतंत्रता को बल प्रदान करती खूबसूरत रचना ….. बहुत अच्छे सर्वजीत जी !!
बहुत बहुत धन्यवाद निवातियाँ जी !!
सही कहा. जब सब और ऑटोनोमी का जोर है तो इसमें क्यूँ नहीं. बहुत खूब.
बहुत बहुत धन्यवाद शर्मा जी !!
Fully filmy ……………
Thank you very much Madhukar Jee.