Homeरिंकी राउतकिताबे किताबे Rinki Raut रिंकी राउत 25/12/2015 1 Comment मेरे सिरहाने रहकर भी मुझसे रूठी है किताबे कुछ टेबल पर,कुछ पलंग नीचे जा छुपी आधी पढ़ी, आधी बाकी कोने में रखी किताबे हमेश पढ़ी जाने के इंतजार में अलमीरा में सजी किताबे ख़ामोशी से जिंदगी का साथ निभाती मेरी दोस्त किताबे.. Rinki Tweet Pin It Related Posts तू कौन है? शरणार्थी आतंकवाद About The Author Rinki Raut लिखना मेरे लिए साधना जैसा है एक गहराई जिसमे डूब जाने के बाद मान से थकान,घुटन,सुख और दुःख जैसे विचार का कोई मतलब नहीं रह जाता लिखते समय मैं अपने शब्दों के साथ बिना बंधन,शौर और अपने -आप में खोई दुनिया से अलग संसार में जीने लगती हूँ One Response Jain 27/12/2015 Nice Said Rinki, Book are the best friend of life Reply Leave a Reply Cancel reply
Nice Said Rinki, Book are the best friend of life