Homeअज्ञात कविमुक्तक मुक्तक नितिश कुमार यादव अज्ञात कवि 02/12/2015 No Comments किसी के आँख का मोती ज़मीं पर गिर रहा होगा, तुझे मैं याद करता हूँ हवाओं ने कहा होगा, लिखे जो गीत तुम पर, सुन, ज़माना झूम उठता है कि आँखे भर गई होंगी जो तुम ने भी सुना होगा Tweet Pin It Related Posts चमन के भौरों गरीबी इस तरह हावी है यहाँ AAKHIRI KHWAIS SAURABH PANDEY About The Author nitishkumar Leave a Reply Cancel reply