Homeअज्ञात कविखुदा से गुफ्त्गू खुदा से गुफ्त्गू Rajesh Kumar Verma अज्ञात कवि 17/11/2015 No Comments इक तेरे में ` ऑचल की छांव ‘ में सूकून पा लेता हूं वरना ` सूरज ‘ ने कमी ना छोडी थी मेरा बदन जलाने में R.K.V.(MUSAFIR) Tweet Pin It Related Posts चमचागीरी-45 फिर से खटपट…..(रै कबीर) वो दिन About The Author Rajesh Kumar Verma Leave a Reply Cancel reply