उस पर एतबार करता हूँ |
सदा तकरार करता हूँ |
दिल गुलजार करता हूँ |
मैं भी प्यार करता हूँ !!
हर अदा पर उसके इजहार करता हूँ |
बहके दिल ना मेरा प्यार करता हूँ !
बिरहा -बहार झकझोर पढ़ता हूँ |
मुझे देखो मैं प्यार करता हूँ !!
गुदगुदाया रात -दिन नीद ओ जगता रहूँ |
सोचता वाहो में उसके उलझे ही रहूँ |
अहसास के ठावँ-गाँव में ही रहूँ |
मुझे देखो मैं भी प्यार करता हूँ !!
ज्ञान की गंगा में गोता खा रहा हूँ |
नदी बहुत गहरी है उसीमे रहा हूँ |
कई वर्षो से डूबता उतरा रहा हूँ |
कमनीय कामना का दीदार करता हूँ|
व्याधियों से घिरा पर प्यार करता हूँ|
देखो मुझे मैं भी प्यार करता हूँ !!
ज्ञान की गंगा में गोता खा रहा हूँ |
नदी बहुत गहरी है उसीमे रहा हूँ |
कई वर्षो से डूबता उतरा रहा हूँ |
कमनीय कामना का दीदार करता हूँ|
व्याधियों से घिरा पर प्यार करता हूँ|
देखो मुझे मैं भी प्यार करता हूँ !!
दिखे दिखता दिलदार दिलवर दिलेर दिखाई |
लिखे लिख-लिख लिखते लरिकन लरिकाई |
लड़ते -लड़ते लाखों लालित्य लाल लगाई |
सज सुघर सुह्रद सजल साहित्य सजाई |
विश्व के साहित्य प्रेम को साकार करता हूँ|
मैं उस पर एतबार करता हूँ ||
दिखे – दिखता दिलदार – दिलेर दिखाई |
लिखें लिख-लिख लिखते लटिकन लरिकाई |
लड़ते -लड़ते लाखों लालित्य लाल लगाई |
सज सुघर -सुहृद सजल साहित्य सजाई |
विश्व साहित्य प्रेम को साकार करता हूँ |
मैं अक्सर एतबार करता हूँ ||
शर्माती मुस्काती कभी खुलकर गीत सुनाती |
अंधेरों को चीर-चीर उजाला दिव्य दिखाती ||
कौतुभ कांति – शांति समेटे दिल बहलाती |
मेरे प्यार में विह्वल होकर गीत सुनाती |
|सुख समृद्धि सस्वर समेटे गजल सुनाती |
भाषा भाषिता संतुलित संस्कार सजाती |
छंद लचारि अलंकारादि मंजरी मन भाती|
हरित शिल्प शीतल सुजलाम सुफलाम दिखाती |
प्रकृति सुंदरी का प्रति दिन दीदार कराता हूँ |
देखो मैं भी प्यार करता हूँ ||
कौन कहता मुझे कि प्यार नहीं करते हैं !
प्यार करता हूँ तकरार कहीं करता हूँ !
मानवता समेंटे तन बदन बिहार करते हैं |
बकुल बहलि आंतरिक गुलजार करता हूँ ||
उस पर इतबार करता हूँ !
सदा तकरार करता हूँ !
बहके दिल प्यारकरता हूँ |
मै भी प्यार करता हूँ ||
very nic
dr ghanshyam singh
Shio ji aap ko achhaa yog de
alankaar ka pryog atyant sushil tariko se kiya gaya hai. sath hi bhavnao ki gahraai bhi swatah jhalak rahi hai. Kash ki ishwar apki aur likhawat me hi bas jaye !
Ram ! ishwar Aap ko seta saa sundar bhkti smrth gyan de ! bhut -bhut dhnywad ke sath |