फुटपाथ की जिंदगी वारिसों से भीगा
किसको कब होता ये नसीब नहीं पता |१|
तकदीर तो हात के लकीर है छू ना सकता कोई
क्यूं पैर छूते किसीका गुलाम बनाते वो आपको |२|
काम ही सब कुछ जीनें की ये राह
आशा और भूख है जितनें की चाह|३|
जालिमोंका कमी नहीं जीने नहीं देता
दिलमें आग हो तो किसीको नहीं चलता |४|
राम शरण महर्जन
कीर्तिपुर, काठमांडू