कहते है आजाद है इन्डिया
और तिरंगा लहराते है
बोलते साहब अंग्रेजी में
और हिंदी में शर्माते है
सत्तू खाना छोड़ के सबेरे
सेन्डविच चबाते है
ताजा रोटी पड़ी तवे में
और बासी पिज्जा खाते है
‘जय जगदीश हरे’ भजन की
फ़िल्मी मेलोडी बनाते है
गाये कौन अब ‘मेरे देश की धरती’
पाप म्यूजिक कान में लगाते है
हिन्दू मुस्लिम इशाई कह के
जात पात दिखाते है
भाइ भाइ आपस में लड़ के
अपने ही खून बहाते है
कहाँ गई अहिंषा गांधी की
क्यों गंगाको नरक बनाते है
अंग्रेजी में करते गिटपिट
क्यों अपनी भाषा में शर्माते है ?
कहते है आजाद है इन्डिया
और तिरंगा लहराते है
बोलते साहब अंग्रेजी में
और हिंदी में शर्माते है
हरि पौडेल
नेदरल्याण्ड
३०-१०-२०१४
हिन्दी के प्रति आपका प्रेम बहुत है इसके लिए धन्यवाद। आपने कविता के माध्यम से जो बताया बिल्कुल सत्य है। कृपया ऐसे ही मार्गदर्शन करते रहिए।
इण्डिया को कभी भारत कहकर संबोधित करे कोई तो देश का सम्मान और अधिक बढ़ जाता है।
अग्रवाल जी आपकी बात १००% सही है. भारतको इंडिया कह कर क्यों सम्बोधित हम करें. हम अपनी भाषा की मिठासको समझ नहीं पाए है. हम अपनेको आजाद समझते है पर दिन पर दिन गुलाम होते जा रहे है. यूरोप में जब हिंदी बोलते समय बीच में कोई अंग्रेजी की शब्द मिलाकर बोलते समय यहाँ लोग हसते है. जब कोई फ़िल्मी कलाकार यहाँ आते है तो वो जब भी अंग्रेजी में बाते करते है.रेडिओ उजाला/ रेडियो आमोर (भारतीय मूल के साऊथ अमेरिकन हिंदुस्तानी) ने जब उन कलाकारों से निवेदन की कि वो हिंदी में बाते करे क्यों कि उन्हें हिंदी बाते बोलने और सुनने में अच्छा लगता है. पर ये कलाकार दो शब्द हिंदी में बात करके फिर अंग्रेजी में लग जाते है. उन्हें बारबार कहा गया कि हिंदी में बाते करे पर कोई फायदा नहीं हुवा. मै खुद जब भी भारत यात्रा में गया शिर्फ़ हिंदी में बाते करने वाले कम ही मिले.ये भारतीय अंग्रेजी बाबू को कब समझ में आएगी कि वो अभी भी आजाद नहीं है बल्कि अंग्रेजो का गुलाम है.
अग्रवाल जी आपकी मीठी प्रतिक्रिया के लिए आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद देना चाहता हूँ.
हरि पौडेल, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है
इंडिया या भारत क्या कहा कर देश को संबोधित करे ये तो राजनितिक विवाद का विषय है, साहित्य तो सब को अपनाने और अपने विचार रखने की आज़ादी देता है
Rinki Raut जी, आपकी इस सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए आभार प्रकट करते हुए ह्रदय से धन्यवाद देना चाहता हूँ. धन्यवाद!