आराम ।
(गज़लनुमा गीत)
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चल ज़िंदगी,तुझ को नया इक नाम दें ।
इस रूह को अब जरा आराम दें ।
१.
रितुओं की तरह,आते -जाते रहे..!
उन ज़ख़मों को, अहम इनाम दें ।
चलज़िंदगी,तुझ को नया इक नाम दें ।
२.
तुझ से बिछड़ना?ग़म तो है,मगर..!
चंद पल हमें, तनहा, गुमनाम दें ।
चल ज़िंदगी,तुझ को नया इक नाम दें ।
३.
इस भीड़ में,मिले न कभी,हम से हम..!
ऐसे रिश्ते को सरपट अन्जाम दें ।
चल ज़िंदगी,तुझ को नया इक नाम दें ।
सरपट = तेज़,
४.
रुकती ये धड़कन, थमती ये सांसें..!
इस जश्न को, अनवर कलाम दें ।
चल ज़िंदगी,तुझ को नया इक नाम दें ।
अनवर = श्रेष्ठ, कलाम = जुमला,
मार्कण्ड दवे ।
दिनांक-१५-१०-२०१४.