काश कोई एक खुशी का लम्हा,
मेरी जिन्दगी में लौटकर चला आये।
मैं बरसात में रो लूं और,
आँख का पानी बरसात में मिल जाये।
ये दिल खुशी से झूमें पहले की तरह,
या फिर पूरी तरह टूटकर बिखर जाये।
बाकी बचे हैं जो चंद हसीं ख्वाब,
वो तो पूरी तरह सम्भल जायें।
एक लम्हा हो खुलकर जीने का,
और उसी लम्हे से जिन्दगी गुजर जाये।
काश कोई तो मुझे दिल से चाहे,
कोई तो करे भरोसा मुझ पर।
चाहने दे मुझे खुद से ज्यादा,
खुद से ज्यादा मेरा उसपे हक हो जाये।
काश कोई तो मेरी जिन्दगी में ऐसे आये,
जो फिर ना कभी लौटकर जाये।
काश कोई एक खुशी का लम्हा,
मेरी जिन्दगी में लौटकर चला आये।
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सुनील कुमार लोहमरोड़