चुकाते हैं आज कीमत, यहाँ हम अपनी भूलों की
तभी तो दिल की दुनिया में, चल रहे राह शूलों की
लाख कोशिश करी हमने, चोट ना कोई लग जाए
मगर आदत नहीं बदली, आज तक इन बबूलों की
अगर पत्थर से हम होते, कोई भी ग़म नहीं होता
हमे तो चाह रहती है मगर, बाहों के झूलों की
सुखी हैं आज वो ही लोग, समय के संग जो बदलें
हम तो बस बात करते हैं, सदा अपने उसूलों की
हर कोई इस जहाँ में, अच्छा मुकद्दर थोड़े पाता है
महर मिलती है मधुकर यहाँ, कुछ को रसूलों की
शिशिर मधुकर
वाह खूब सुंदर
Dhanyavaad Bindu Ji ……..
बेहद खूबसूरत…..टंकण त्रुटि बबूलों कर लें….
Tahe dil se shukriya Babbu Ji. Aawashyak sudhaar kar liya hai .
बहुत खूबसूरत
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ………