काश तेरी दीवानगी को
हमारे गुरूर ने सुन लिया होता
तुमने जिस तरह चाहा था
हमने भी चुन लिया होता
निकाला था जो खत
उसी किताब में रख दिया होता
जो भी कहना था तुमसे
काश कह दिया होता
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अब तो बस लोग सियासत
करते हैं जज्बातों में
अलग अलग चाहत का सौदा
अलग अलग हालातों में
अब तो ढो रहे हैं जिन्दगी
चलती फिरती लाशों में
आज भी तुम ताजा मुस्काती
मरे हुए अहसासों में
Bahut khoob ……….
धन्यवाद आपका आदरणीय
अति सुंदर …………………!
धन्यवाद मान्यवर प्रतिक्रिया के लिए