टैग नाम की बीमारी फेसबुक पर छाई,
इस ने रोजाना पोस्टो की गिनती बढ़ाई,
करते कवि एक साथ सब को पोस्ट टैग,
अलग अलग पोस्ट करने की चिंता घटाई,
बड़े नाम वाले करे टैग रचना सबसे पहले,
फेसबुक नोटिफिकेशन भर भर रोज आई,
हर वक्त समाज को देते ज्ञान का प्रकाश,
ऐसे किसी बड़े कवि की टैग मुझे भी आयी,
पढ़ मन में उठे सवाल को कवि जी से पूछा,
मन में हसीं फूटी जैसे कवि ने शंका मिटाई,
कहते पढ़ो किताब हमारी खरीद कर तुम,
तुम्हारे सवाल गुत्थी उसमें मैंने है सुलझाई,
फिर जय सिया राम कह फ़ोन काट दिया,
उस को आई डी के बहार की राह दिखाई,
लाइक, कमैंट्स, शेयर का आया है जमाना,
टैग कर कवि भाई खूब करे इनकी कमाई,
गर बाँट नहीं सकते बड़े कवि अपने ज्ञान को,
ना करे तंग मुझे टैग कर बड़े प्यारे कवि भाई,
करता नहीं कभी मैं किसी को टैग वाल पर,
जो पढ़े खुद बा खुद आ कर वही मेरी कमाई,
पढ़ना और पढ़ाने में फर्क बहुत बड़ा समझो,
रखो भरोसा अपनी कलम पर मेरे कवि भाई,
टैग नाम की बीमारी फेसबुक पर छाई,
इस ने रोजाना पोस्टो की गिनती बढ़ाई,
मनिंदर सिंह “मनी”
लाजवाब कटाक्ष मनी जी….”कहते पढ़ो किताब हमारी खरीद कर तुम….तुम्हारे सवाल गुत्थी उसमें मैंने है सुलझाई” बहुत कमाल की लाइन्स हैं….. अक्सर देखने में आता है की जिस के पास थोड़ी सी भी नॉलेज है….वो अपने को सबसे बड़ा ग्यानी समझने लगते हैं….उनसे कोई जब सवाल पूछा जाता है या समझने को कुछ तो उनका जवाब वही होता जो आपने लिखा है… जो ज्ञान आगे शेयर करने से बचते हैं कुछ लोग और ज्यादातर नाम के लेखक जो होते वो सब इन पंक्तियों में समेट दिए हैं आपने…. कमाल की पंक्तियाँ….जय हो….