नर और नारी एक समाना
ये सारी दुनिया ने जाना।
एक सिक्के के दो पहलू हैं
कितना इनमें ताना बाना।
जैसे अंबर इस धरती पर
उदक आग हैं दोनो लड़ते ।
सच और झूठ का है खेला
सुख हंसते हैं दुख तड़पते ।
ममता – माया की है मेला
मजहब जाती का है खेला
ऊँच – नीच का ध्यान नहीं है
कहाँ रहे अब गुरु वो चेला।
दुनिया है अमीर गरीब से
रहते सब अपने नसीब से।
बड़े छोटे का क्या है कहना
कभी भाई कभी है बहना।
नरम कठोर ठंढ़ा गरम है
स्त्री पुरुष लिंग भ्रम है मन का
हार जीत का क्या है कहना
नर नारी भूखा है धन का।
- बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा (बिन्दु)
बाढ़ – पटना
बहुत सुंदर बिंदु जी …………………..!!
“ये तो सब दुनिया है जाना” को यदि “ये सारी दुनिया ने जाना” लिखे तो कैसा लगेगा …….इसमें आपकी मात्रा भार भी बाधित नहीं होती !
sahi farmaya aapne.
Bindu Ji , Rahnaa shuruaat Kuch or karti hai or baad me bhatia jaati hai .
SHISHIR JEE …. APNI APNI SAMAJH HAI …. YAH SANSAR DO BATON PAR HI CHALTI HAI JO MAINE KUCHH UDAHARAN DIYEN HAI.
bahut khoobsoorat…………..
Bahut badiya bindu ji👍👍
बहुत सुन्दर