शीर्षक–कहाँ है हमारा संविधान
देखिये भाईयो और बहनों
हम सब भारतवासी ही है
सबसे बड़ा लोकतंत्र है हमारा
क़ानून की किताब भी है भैया
अरे वही जिसे हम संविधान कहते है
अरे वही जो गीता और कुरान से बढ़ कर है
बाबासाहेब ने लिखा था
बड़े ज्ञानी विद्वान् आदमी थे
मैं ठहरा देहात का आम आदमी
कुछ समझ में नहीं आता मुझे
क्या लिखा है इसमें
इसके होने से क्या होता है
जब कोई अनपढ़ या वो टाइप वाला आदमी
नेता बन जाता है देश का
तो सोचता हूँ क्या यही है संविधान
जब कोई फिल्म अभिनेता या कोई बड़ी हस्ती
किसी जानवर को मार दे
जानवर छोडिये अलबत्ता कोई आम आदमी को ही मार दे
तो फिर कहाँ छिप जाता हमारा संविधान
सच मानिये
दिल से कहता हूँ
जब किसी हिन्दू को मुसलमान से नफरत होती है
जब किसी उच्च वर्ग को निम्न वर्ग को हिकारते देखता हूँ
दिल बैठ सा जाता है
और सोचता हूँ कैसा है हमारा संविधान
और कहाँ है हमारा संविधान
क्या अमीरों के शीश महल में
या फिर नेताओ के सफ़ेद कमीज के जेब में
आखिर में एक बात और कहता हूँ
आप भी कभी सोचियेगा
कैसा हो अपना हिंदुस्तान
कैसा हो अपना संविधान
जिसमे बच्चियों के बलात्कार के बाद
हम सिर्फ मोमबत्ती जलाये
पुलिस थाने कोर्ट कचहरी के चक्कर में
अपनी उम्र बीतायें
क्या न्याय खरीदे या खुद बिक जायें
अपने बच्चो को क्या हिन्दू मुस्लिम के दंगे में उलझाएँ
कहीं मंदिर तोड़े जाए या मस्जिद कुर्बान हो जाए
आप सबसे पूछता हूँ फिर
कहाँ है अपना संविधान
जरा ढूंढे और पता लगाये
—-द्वारा रचित अभिषेक राजहंस
” जय भारत जय भारती”
बिल्कुल सही कहते हैं आप बहुत-बहुत सुंदर रचना आपकी
राजहंस जी…. हमारा संविधान ही लचरवाली है। इसमें जो कानून व्यवस्था है वह अंग्रेज के फेवर में लिखी गई क्योंकि वह उन्हीं के साथ थे… मेरे भी जेहन में ये बात आई है, मैं भी…..
बिलकुल सही कहा आपने सराहनीय रचना है सर।
Lovely sarcasm……..