बातों पर मेरी कभी क्या तुम गौर करते हो,
चुप रहते हो पर ज़ेहन में शोर करते हो,
जितना चाहता हूँ के ना सोचूँ तेरे बारे मैं,
दिल से मेरे छेड़छाड़ तुम उतना और करते हो,
बहुत कोशिश की है कहीं और दिल लगाने की,
पर तुम हर कोशिश को मेरी कमजोर करते हो,
सर से पाँव तक नस-नस मैं रहने लगे हो अब,
समझ नहीं आता तुम मुझमे कैसे दौर करते हो,
तुम करो तो अपनापन, हम करे तो जिद है,
योगी इस कदर क्यों हमसे जोर करते हो|
Ati sundar ………
Thanks for the complement
बहुत ही खूबसूरत………..!!
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद काजल जी
Bahut hi khoobsurat……!!
Thanks for appreciation Kajal Ji
Thanks for your kind appreciation, Mam
ati sundar…….iska matlab nahin samajh paaya….समझ नहीं आता तुम मुक्झे कैसे दौर करते हो,
behad khoobsurat rachana hai…………….
plz read ….sadbhavna….
Thanks for your kind appreciation