मुहब्बत में घिरे जो भी यही अंजाम हो जाए
तड़प ले उम्र भर की और सारा चैन खो जाए
कभी ना दर्द से जिनका रहा हो वास्ता कोई
उनके आंसू छलकते हैं जो उल्फत बीज बो जाए
इसके बिन ज़िंदगी कैसी यहाँ वीरान होती है
ये तो समझेगा वो इसकी उलझती राह जो जाए
मिले सच्ची मुहब्बत ग़र किसी इंसान को हरदम
फिर वो तन्हा नहीं तड़पेगा और रातों को सो जाए
मोती बिखरे पड़े हैं ज़िन्दगी के जाने क्यों मधुकर
कोई तो प्रेम धागे में इन्हे आकर पिरो जाए
शिशिर मधुकर
बहुत ही खुबसूरत रचना है सर। सर आपने हमारी एक रचना शिक्षक पर जो अपना comment दिया है उसका meening हमें समझ नहीं आया। well said. तो समझ गई पर उसके बाद का समझ नहीं आया
Dhanyavaad Bhavna ji…..
बेहद खूबसूरत रचना…… मधुकर जी……
Dhanyavaad kaajal……
बहुत बढ़िया शिशिर जी…………….खूब….
Dhanyavaad Zmadhu ji …….
बहुत खूब मधुकर जी….. मेरी रचना आपके प्रतिक्रिया से बंचित है…. ।
Aabhaar Bindu ji …..Pratikriyaa me deri ke lie Kshama
bahut khoobsoorat………….
Tahe dil se shukriya Babbu Ji ………………
Bahut sundar, Shishir ji…
Tahe dil se shukriya Anu ……………….
khubsoorat lines….
Dhanyavaad Anand Kumar Ji ………..
Bahut khub Shishir Sahab
Tahe dil se shukriya Rajiv ji ……..
Bahut khubsurat….hamesha ki tarah …
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ………….