तुमसे बिछड़ के मुझ को सब वो यार पुराने याद आये…
हर बात पुरानी याद आयी वो दिन सुहाने याद आये…
जब देखूं हंसों के जोड़े मेरी सब यादें बोलें…
आँख मिली कब दिल धड़का मिलने के बहाने याद आये…
ख़्वाब सुनहरे रात चाँदनी ओ भावों का वो झुरमुट…
तन्हाईओं में साथ तेरे वो वादे निभाने याद आये…
कालिज की कैंटीन पार्क जिसमें दिन गुजरे थे अपने…
चाय संग तुझको मेरे वो गीत सुनाने याद आये…
तेरी वो मदहोश निगाहें ओ ज़ुल्फ़ों के घने साये…
‘चन्दर’ की तुम ग़ज़ल हो तुमपे शेर बनाने याद आये…
\
/सी. एम्. शर्मा (बब्बू)
बहुत बेहतरीन गजल सर जी………….
तहदिल आभार आपका…..Madhuji…
वो यादें, वादें, वो गेसुओं के छाँव, अब बताएं कैसे
रिश्तों के फेर बदल में, वो सारे तराने याद आये।
बहुत सुन्दर बब्बू जी। मुबारक हो।
तहदिल आभार आपका…..Binduji…
वाह क्या बात है……….प्रेम रस में लिपटे खूबसूरत जज़्बात हर किसी को बीते दिनों की यादे ताज़ा कराने के काफी है।
तहदिल आभार आपका….Nivatiyaji…
Bahut khoob Babbu ji …………..
तहदिल आभार आपका…..Madhukarji….
बहुत बहुत खुबसूरत रचना।
तहदिल आभार आपका…..Bhawanaji…
बहुत ही सुंदर…… खुबसूरत यादों को जीवांत किया आपने…………
तहदिल आभार आपका….Kajalji….
Bahut sundar, Sharmaji …
तहदिल आभार आपका…..Anuji…
बहुत बहुत खूबसूरत रचना
शर्मा जी आपकी नज़र काव्य पुस्तक मुझे भी पढ़नी है कृपया भेजने की कृपा करें
तहदिल आभार आपका…Kiskuji….ji zaroor….