रामसिंह आज फिर एक दंपति से बहस कर रहा था।
दंपति उसे बार बार धक्का देते हुए जाने को कहते।
पर वो था कि मानता हि नहीं था।
बार बार चिल्ला कर यही कहता कि –
“अपनी बेटी को स्कूल भेजो उसे बचपन से ही चुल्हे चौके में फंसा कर उसकी जिंदगी बर्बाद मत करो ”
दंपति का हर बार यही जवाब होता
” हमारी बेटी है हम इसे पढाये न पढ़ाये तुम्हे इससे क्या, पढ़ लिख इसे करना क्या है। वैसे भी इतने लडकों के साथ हम क्यूँ भेजे अपनी लड़की ”
ये बात थी उस पिछड़े हुए गाँव की जहां सिर्फ
एक नदी बहती जिसका पानी जानवर भी पिते और इंसान भी । हर तरफ बस गरीबी ही गरीबी नजर आती थी ।
कुछ था तो बस एक छोटा सा स्कुल जिसमें सिर्फ 10 से
11 लडके पढ़ते थे और लड़की एक भी नहीं ।
रामसिंह वहा का एकमात्र अध्यापक था ।
रामसिंह के बार बार अर्जी विनती करने पर अंततः
एक दंपति ने अपनी छोटी सी बेटी आशा को स्कूल भेज दिया।
पर हमेशा वो उसके पीछे लगे रहते ये सोचकर कि रामसिंह
आशा के साथ कुछ गलत न कर दे ।
आशा पहली बार स्कुल पहुँची। दस ग्यारह लडकों के बीच वो थोड़ी घबराई । रामसिंह ने उसे जोर से फटकारा, समझाया कि वो किसी से कम नहीं है। वो भी उन लडकों के बराबर ही है ।
रामसिंह अब रोज उसे पुचकारता, फटकारता और
उकसाता । मासुम आशा कभी रोती कभी घबराती कभी । देखते ही देखते साल गुजर गये और रामसिंह की मेहनत रंग लाई । छोटी सी आशा सभी लडकों को पछाड़ कर अव्वल आई। रामसिंह की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने आशा के सिर पर प्यार से हाथ फेरा और बोला –
” मैंने तुम्हें बहुत डॉटा, बहुत फटकारा। तुम्हें पता है मेरी भी एक बेटी थी । मैं उसे पढ़ा लिखा कर कुछ बनाना चाहता था। मगर एक गंभीर बिमारी से वो चल बसी ।मेरी प्यारी बेटी को मैने खो दिया। जाने क्यूँ भगवान् उन्हें बेटी नहीं देता जो बेटीयो को बेटे से भी अधिक प्रेम करते हैं और जिनके पास बेटी है उन्हें बेटीयो की कदर नहीं। मै किस्मत का मारा अपनी बेटी को पढ़ा लिखा न सका। पर मैं चाहता हूं कि गांव की हर बेटी को पढ़ा लिखा कर उसे आगे बढ़ाऊ समझुंगा कि अपनी बेटी को पढ़ाया मैंने ”
इतना कहते हुए रामसिंह की आँखों में सागर उमड़ आयाऔर वो फुट फुट कर रोने लगा। छोटी सी आशा इतने गहरे भाव को तो नहीं समझ पायी पर अपने लिए प्यार और स्नेह देख सिने से लिपट गयी।
पर ये नजारा गांव के लोगों ने और आशा के माता-पिता ने देख लिया । सभी को अपनी सोच पर पछतावा हुआ। आशा की सफलता देख अब सभी अपनी बेटीयो को स्कूल भेजने लगे।
आखिर कार रामसिंह की पहल को एक नयी आशा मिल ही गई । ।
” काजल सोनी ”
बहुत अच्छा और सही सन्देश देती कथा…..हाँ थोड़ी काँट-छांट करके और बढ़िया किया जा सकता है…
तहे दिल से आभार आपका शर्मा जी……
आपके कथन पर विषेश ध्यान रहेगा……..
Ati sundar Kajal. Story has several agles which I likde very much. (i) message of gender equality (ii) realization od somebody’s value after loss and (iii) positivity.
आपके विचार और प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल से आभार आपका मधुकर जी……..
उम्दा सोच को नमन …………बेहद खूबसूरत ……….ऐसी सोच को बढ़ावा देने की आवश्यकता है ………..बाकी सुधिजनो के विचारो से सहमत हूँ !
आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल आभार आपका निवातिया जी……..
बहुत अच्छी सोच… उम्दा लिखा है आपने।
तहे दिल से बहुत बहुत आभार आपका बिंदु जी…..
बहुत ही अच्छी कहानी।
तहे दिल से बहुत बहुत आभार आपका भावना जी…..
Nice story, Kajal ji…
तहे दिल से आभार आपका अनु जी……..
समाज को प्रेरणा देती आपकी मार्मिक गद्य रचना…बहुत खूब काजल दीदी।
सुंदर प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल शुक्रिया आपका कृष्ण……
प्रेरणादायक रचना काजल जी…………………
तहे दिल से बहुत बहुत आभार आपका मधु जी…….
आपके विचार और प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल से
बहुत बहुत आभार आपका मधुकर जी……..
प्रेरणादायक कहानी सुन्दर
तहे दिल से बहुत बहुत आभार आपका कपिल जी……