💐धन हे💐-मधु तिवारी
धन हे वो जंगल, पहारे प्रभु जी
जिहाँ तैहा पइया ल धारे प्रभु जी
वो पंछी वो मिरगा घलो भागधर हे
जेमन ह तोला, निहारे प्रभु जी
जल होगे अमरीत वो तरिया,नदी के
जे तोर पइयाँ ल पखारे प्रभु जी
धन,धन वो रद्दा के भुइयाँ ह होगे
जेमा पाँव पउठा ल पारे प्रभु जी
रद्दा के तिर तिर रहइया गजब हे
दरस करके भाग ल सँवारे प्रभु जी
तुँहरे चरन के धुर्रा मिल जावय
सफल ए जनम हो हमारे प्रभु जी
✍🏻मधु तिवारी
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बहुत ही बेहतरीन…. छत्तीसगढ़ी कविता मधु जी….
बस प्रभु की जगह ‘ परभु ‘ होता शायद…..
हा हा हा …..समझ गई काजल जी….आप भी छत्तीसगढ़ से हैं क्या….. परभु,प्रभु दोनों प्योग होता है।….बहुत बहुत धन्यवाद आपका……
बहुत सुंदर भगवत भजन… भावपूर्ण अभिब्याक्ति शायद आपकी भाषा है यह। प्रभु के प्रति झुकाव और प्रेम…… बहुत बढ़िया।
बहुत बहुत धन्यवाद बिंदु जी……हाँ यह छत्तीसगढ़ी भाषा है…समझ मे आ गया आपको……
बेहद उम्दा…..लाजवाब……..
धन्यवाद शर्मा जी……समझ मे आ गया …….
ईश्वर महिमा का गुणगान करती क्षेत्रीय भाषा में संजोयी सुन्दर कृति………..अति सुंदर मधु जी…….!!
कृपया ‘ उत्थान हर कोई कर रहा है ‘ रचना पर अपने अमूल्य विचार साझा करे ।।
धन्यवाद निवातिया जी……….समझ गये भजन को…….हाँ आपकी रचना अवश्य पढ़ूंगी सर……
बहुत ही सुन्दर रचना।
धन्यवाद भावना जी……….समझ मे आया आपको…….
Madhu ji, yah ek prayer ya Bhajan hai, itna to samajh pai hun. Lekin pura bhajan mere samajh me nahi aya. Aapne likha hai, bahut achha hi hoga,
Please meaning agar likh de ….( meri rachna “ज़िन्दगी की गाड़ी” bhi jarur read kare)…
thanks anu ji ………….. mujhe lga hindi se milti julti hi hai hmari matribhasha chhattisgarhi .to sbko samjh me aa jayega . koi bat nhi anu ji hindi translation krke post krungi. apki rachana mai jarur padhugi.
बहुत सुन्दर रचना.
धन्यवाद विजय जी आपका ………………
Aanchalik bhasha me sundar bhakti rachnaa Madhu ji ………
bhut bhut dhnyawad sir apka
बेहद बेहतरीन रचना मधु जी …..
कृपया मेरी रचना ” कड़वाहट जब छनके आयी है ” पर भी अपने विचार प्रस्तुत कीजिये ।