मैं सैनिक हूँ
मैं जगता हूँ रातभर
चौकस निगाहें गड़ाए हुए
उस जगह
जहाँ अगली सुबह देख पाऊं
इसमे भी संशय है
उसके लिए जो अभी अभी
छाती से लगाके सोई है
मासूम बच्चे को
मैं सैनिक हूँ
चल लेता हूँ मै
उस सँकरी पहाडी पगडंडी पर
जहाँ हर कदम पर
मौत इम्तिहान लेती है
क्योंकि घूम रहे होंगे
हज़ारों नौजवान स्वच्छंद
गली,मोहल्लों और सड़कों पर
निर्भीक होकर
मैं उस खून जमाती ठंड में भी
कंधों पर भार लेकर
मोर्चा लिए खड़ा हूँ
क्योंकि सोये होंगे मेरे अपने
चैन से, ये भरोसा लिए
कि सीमा पर मैं खड़ा हूँ
मैं सैनिक हूँ
झेल जाता हूँ मैं
उस गोली को भी
जो चीर सकती थी मेरा सीना
एक ही पल में
लेकिन फौलाद हो जाती है छाती
जब मेरेे पीछे और मेरे साथ
खड़ा होता है मेरा पूरा देश
जय हिंद
-रणदीप चौधरी ‘भरतपुरिया’
bhut sundar chitran sainiko ka ……………….
Thankyou ma’am 💐
बहुत सुन्दर कविता ……..
धन्यवाद सर💐
bahut sundar…………
बहुत आभार सर💐
सैनिक जीवन की उद्धत करती सुंदर रचना ……….अति सुंदर !
आभार सर💐
सुन्दर
आभार💐