प्यार का अंदाज़ मैंने तुम से है सीखा….
नज़रें चुराना भी तो तुम्हीं से है सीखा…
इज़हारे जज़्बात ब्यान कैसे करूं तेरा…
सिले होंठों से आँखों में मुस्काना सीखा….
कोमल कोपलों सा रोम रोम से फूटता है….
चेहरा हर मौसम खिला खिला सा रहता है….
खिली हो घूप या बादल कारे हों कितने भी…
प्यार तो हर पल बस महकता महकाता है…
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/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)…..
bhut khoobsurat sir……………….
तहदिल आभार आपका…..Madhuji….
bahut khoob Babbu Ji. Last Line to lajawaab hai.
तहदिल आभार आपका….Madhukarji….
Very nice babbu jee.
तहदिल आभार आपका…..Binduji…
Bahut sundar, Sharma ji…
तहदिल आभार आपका…..Anuji…
Bahut khoobsoorat shabdon se sajaya aapne kavita ko Babbu JI
तहदिल आभार आपका……Kiranji….
वाह …………………… क्या बात है ……………………. बहुत खूब शर्मा जी !!
तहदिल आभार आपका……Sarvajitji….
वाह ! क्या प्रेम अनुभूति का अहसास कराया है …..सात्विक प्रेम ग्रहण किया जाता है …न छीना जा सकता है ………न माँगा जा सकता है ………………बहुत खूबसूरत बब्बू जी ……….!!
तहदिल आभार आपका……Nivatiyaji….
khubasoorat
तहदिल आभार आपका……Arunji….
सुंदर…
तहदिल आभार आपका……Salimji….
बहुत खूब शर्मा जी
तहदिल आभार आपका……Rajeevji….
अति सुन्दर. दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.
तहदिल आभार आपका……आपको भी बहुत बहुत शुभकामनायें…..Vijayji….
अति सुन्दर सी0एम0 साहब
तहदिल आभार आपका……ram gopalji….
बहुत ही खूबसूरत……. बहुत ही बेहतरीन……..!!
तहदिल आभार आपका…Kaajalji…