मन का चलन कुछ है ऐसा
कि अरमान मचलते रहते हैं
पा जाने को दुनिया सारी
दिन रात में ढलते रहते हैं
नील गगन में उड़ते बादल
छमछम बरसते रहते हैं
ठंडी हवा के झोंके भी
तरानों में बदलते रहते हैं
तितलियोँ का डोलना फूलों पर
रंग और ख़ुशबु संग २ बहते हैं
पूछो किसी उपवन से अगर
जो इन सबको खिलाए रहते हैं
होते हैं गहरे कई भेद बहुत
जो मन में समाए रहते हैं
ठहरे जो मन मुमकिन ही नहीं
रंग हर पल बदलते रहते हैं
झरनों से ली है चंचलता
मौजों से मचलते रहते हैं
न जाने किस थिरकन पे
मधुर राग बिखरते रहते हैं
मन का चलन कुछ है ऐसा
कि अरमान मचलते रहते हैं
है मन का साथ अरमानों से
जो साथ है चोली दामन का
हो जाएँ जुदा संम्भव ही नहीं
सदा रंग रूप में ढलते रहते हैं
मन का चलन कुछ है एैसा
कि अरमान मचलते रहते हैं
Man or jeevan ki pravrti par Badi khoobsoorati se shabd goonthe hai aapne……
शिशिर जी सराहना के लिए बहुत २ आभार ,मन का विषलेशन किया तो यही पाया कि मन बड़ चंचल होता है
तितलियोँ का डोलना फूलों पर
रंग और ख़ुशबु संग २ बहते हैं bahut sunder bhav ….. prakrit ki bali bedi par khari utarti achhi rachna.
शर्मा जी किसी एक पंक्ति ने आपके मन को छुआ ,जान कर प्रसन्नता हुई ,,,,बहुत २ धन्यावाद
मन की चंचलता को दर्शाती खूबसूरत रचना ……………………………………………………. बहुत ही बढ़िया किरन जी !!
सर्वजीत जी ,मन की चंचलता ही तो उसके जीवांत होने की द्योतक है , सराहना के लिए आभारी हूँ
आ. किरण जी,
ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई.
सलीम जी सराहना के लिए बहुत २ धन्यावाद
मन में प्यार हो तो प्रकिर्तिक सौन्दर्य में खुशबू हर पल महसूस होती है….बहुत ही सुन्दर…manmohak रचना….
बब्बू जी बहुत २ धन्यावाद, प्रकृति का सौन्दर्य तो सभी को मोह लेती है , आपने ठीक कहा संवेदनशील होना ज़रूरी है
wah ! kya khoob likha apne….. gajab……..
Madhu JI bahut 2 dhanyawad
मन की चंचलता पर प्यारी बात | बधाई |
Arun JI bahut 2 dhanyawad
अति उत्तम किरण जी ……………मन चंचल बावरा ………सब अरमानो का ही तो खेल है जीवन में ……प्राकृतिक सौंदर्य की अनुभूति जिस को भाव से ग्रहण करोगे वैसी ही आभास होगा ….खूबसूरत सृजन …!!
Bahut 2dhanawad Nivatiyan JI ,apne theek samjha dil mein koyee armaan hi na ho to log kriyasheel hi nahi Honge unka Hona Bhi zaroori hai
अति सुन्दर. दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.
विजय जी आपको भी दीपावली की बहुत सारी शुभ कामनाएँ
आप सभी को दीपावली की ढेरों शुभ कामनाएँ
झरनों से ली है चंचलता
मौजों से मचलते रहते हैं
न जाने किस थिरकन पे
मधुर राग बिखरते रहते हैं
प्रकृति की उपमाओं का शानदार चित्रण।
अति सुन्दर किरण जी।
Ram JI sarahna ke liye aapka bahut 2 dhanyawad