कवि: शिवदत्त श्रोत्रिय
मंदिर में काटों ने अपनी जगह बना ली
वक़्त आ गया है फूलो के इम्तिहान का ||
वक़्त आ गया है फूलो के इम्तिहान का ||
सूरत बदलने की कल वो बात करता था
लापता है पता आज उसके मकान का ||
निगाह उठी आज तो महसूस करता हूँ
लाल सा दिखने लगा रंग आसमान का ||
लुटेरों की हुक़ूमत जहाजों पर हो गयी
अंदाजा किसे है दरिया के नुकसान का ||
आइना कहाँ दुनियाँ की नजर में “शिव”
अपने ही सबूत मांगते तेरी पहचान का ||
बहुत खूबसूरत…………..वर्तमान परिपेक्ष्य पर कटाक्ष करती अच्छी रचना !
आभार आपका ………….
ati sundar……………..
aabhar……
Bahut sunder…………………
aabhar vijay g
बहुत ही गजब लिखा आपने……………….
aabhar madhu ji