About The Author
नाम: डी. के. निवातिया
जन्म स्थान : मेरठ , उत्तर प्रदेश (भारत)
शिक्षा: परास्नातक, शिक्षा में स्नातक सहित
विशेष रूचि :- लेखन एव पाठन कार्य में खुद के लिए कुछ समय व्यतीत करना
समस्त कवियों, लेखको एवं पाठको के द्वारा प्राप्त टिप्पणी एव सुझावों का ह्रदय से आभारी तथा सुझाव एवं प्रतिक्रियाओ का आकांक्षी !!
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Nivatiya ji is gambheer vishay par aur adhik chintan ki aawashyaktaa hai. Jhooth or paakhand keval baabaaon tak seemit nahi hai. Jo pakdaa jaae vo chor.
बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर जी ……………..मै आपके इस तर्क से पूर्णतय सहमत हूँ की इस पर जितना चिंतन किया जाये कम है …………..यहां रचना के अनुरूप झूठ और पाखंड ही समाहित हो सका , अपितु इसके अनेक पहलु है , जैसे धर्म, श्रद्धा, आस्था आदि के नाम पर चल रही अंधी भक्ति और भेड़चाल आदि ! इसके अतिरिक्त अनेक प्रसंग ऐसे है जो चिंतन का विषय है !!
बहुत सही कहा आपने .., …., जब तक संकीर्ण मानसिकता का त्याग नही होता ढोंग और पाखंड की जड़ें समूल नष्ट नही होंगी .
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया ………………..MEENA JI.
Satya vachan…………….
तहदिल से शुक्रिया ………………..VIJAY JI.
समसामयिक समस्याओं पर सुन्दर पंक्तियाँ निवातिया जी…….
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया ………………..MADHU Ji.
soufeesadi stya kathan……………….
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया ………………..BABBU JI.
झूठ और पाखंड से काश हम सब मुक्त हो पाते जिंदगी जीने में मजा आ जाता। बहुत सुंदर।
सत्य कहा आपने …………आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए तहदिल से शुक्रिया ………………..BINDU Ji.