तुमने हर बार
मेरी बातों को
अनसुना किया
और अपने विचारों में
लीन रहे…..
क्या तुम्हें मालूम है
हर बार तुम
मुझे खोते गए
और मैं
खुद में
खोती गई…..
शायद…
जब समय
चादर बदले
तब तुम चुप्पी तोड़
बहना चाहो..
तो कह देती हूँ…..
तुम्हारी चुप्पी
दिल में छेद
कर देती है
और…
छेद वाले दिल से
न तो तुम्हें
खुलकर बहने की
जगह दे पाँऊगी
न हीं तुम्हें
बाँध पाँऊगी……
-अलका
bhut khoobsurat bhav hai alka………..
बहुत दिनों के बाद आपकी रचना पढ़ने को मिली .वही हुनर…..,वही भाव सृजन ………… .सुन्दर रचना …..
,
Bahut khoob dard kee abhivyakti………………….
bahut sundar…….swagat…..fir se…..bahut dinon baad rachna mili padhne ko…
लम्बे अंतराल के बाद ह्रदय के भावो को संचित करती खूबसूरत कृति………!!
बहुत सुंदर…………..लम्बे अंतराल के बाद सुंदर कृति.
बहुत सुन्दर……… लाजवाब…….