जो भी है तुम्हारे मेरे बीच वो बेवजह नहीं है तुमसे रिश्ता मेरा सिर्फ इस जन्म का तो नहीं है तुमसे मिलना उस रब को भी मंजूर है फिर …
आसमाँ और होता है, जमीं कुछ और होती है, ख्वाब और कहते है, सच्चाई कुछ और होती है। तसव्वुर में कोई चेहरा, मेरे दिन रात रहता है, अंधेरे पर …
नया बवाल ! न जाने लोगो ने जहन में क्या पाल रखा है, जिसे देखो सबके पास नया बवाल रखा है, फिक्रमंद जो दिखते ज्यादा मुल्क के लिए उन्होने …
शोलो से लड़ना होगा *** सहते – सहते, सह रहे है हम, सदियों से आतंक की अठखेलियां, कितने आये कितने गए सत्तारूढ़ बुझा रहे आजतक सिर्फ पहेलियाँ, कुछ तो …
मेरी याद तो आती रहेगी मेरे जाने के बाद मेरी याद तो आती रहेगी आँसू की ओट से चुपके छिपाती वो आती रहेगी। मुरझाये हुए फूलों से …
देखूँ जिस ओर देखूँ जिस ओर तो मुझको श्रंगार अनूठा दिखता है। देखूँ जिस ओर तो मुझको संसार अनौखा दिखता है। वह मँड़राते फिरते भ्रमरों का …
जैसे पिछली बार दिखी थी एक बार फिर दिखो ना आंखों से शुरू हुई थी कहानी हमारी आँखों पे ही खत्म करो ना वो जो पल थे कुछ सेकण्ड्स …
गद्दारों को फांसी दे दो, भीतर घात जो करते हैं अपने वतन के खाते हैं , गले दुश्मन के लगते हैं। सबसे पहले घर को देखो, युद्ध फिर तुम …
बंजर हो गया हूँ अब और कुछ किया नही जाता रेत की मानिंद फिसल रही ज़िन्दगी रेत में मिला जा रहा हूँ उम्मीद की कोई किरण दिखती नहीं अब …
पानी के रंग जैसी हैं ये जिंदगी, इसे जैसे बनाओगे वैसे ही बन जाएगी। अगर इरादे मजबूत हो तो आसमान भी छूना मुश्किल नहीं। अगर हम ही कमजोर हो …
जिसे तुम ज़िन्दगी में सबसे ज्यादा प्यार करते हो झिझक को छोड़ कर पीछे उसे बाँहों में भरते हो ज़मीं का साथ पाकर ही शज़र पे रंग आता है …
शर्म और हया से लबालब ये चेहरा कोई राज़ देखो तो कहता है गहरा नज़रें झुकी हैं और मन में खुशी है लगाया है सीने पे गहनों का पहरा …
चूड़ी रोयी – रोया कंगना, बिंदी माथ की गिर गयी अंगना सुहागन की सिंदूर लुटा है, चित विह्वल से करती क्रंदना। सूनी हाथों की मेहदी है , बिखर गये …
मुझे तू प्यार करता है तो मैं सिमटी सी जाती हूँ खुशी से झूम उठती हूँ लाज संग मुस्कुराती हूँ मेरे मन में उमंगों का बड़ा सा ज्वार उठता …
जिंदगी की आग में झुलसता रहा हूँ मैं तेरी प्रेम की बारिश का बहुत इंतजार किया हूँ मैं डर है मुझको तुझे खो न दूँ मैं कारण इस डर …
सोचा किए जो वो ना हुआ कुछ तो बात है दिन का समय भी आएगा गर आज रात है आज वो ऊँचा भी है और डालियां हैं संग पर …
जाने कब क्या सही होगा ये वक़्त और कितना इंतज़ार कराएगा क्या कुछ मेरा भी होगा या उम्मीदों की छत जमीन हो जाएगी किस्तों में जी रहा हूं साँसे …
हर मन में इक ख्यालों का शहर बसता है… इक ज़हरीले नाग सा, हमें धीरे-धीरे डसता है.. बेमाने, बेख़ौफ़, बेपरवाह से हैं इस शहर के बाशिंदे… चीते की रफ़्तार …
हे माँ सरस्वती, मेरे जीवन से अन्धकार हटाकर , मुझे ज्ञान का भंडार दे । करती हूँ मैं तेरी पूजा अर्चना, मेरी लेखनी को और निखारा दे। लिख सँकू …
आज कोई शब्द नहीं,कोई भाव नहीं, ना चल रही क़लम मेरी आज, नि:शब्द हो मेरी कलम आज, बस इतना ही लिख रही हर बार लेखनी आज, ना भूल पाऐगे …
नमन है उन वीर जवानों को, जो निकले थे घर से कभी, देश की रक्षा के खातिर, लौट कर घर ना आने को । क्यों चुप बैठी है अब …
तुम आगोश में आ जाओ तुम्हें दिल में बसा लूँगा नैनों के रास्ते से तुम्हें झील में उतार लूँगा झूमेंगे हम दोनों पानी तुम्पे उछालूँगा मोहब्बत की डोरी …
छोटी – छोटी बात पर झगड़ा होता जिनमें सही मायेने में अक्सर प्यार होता उनमें गैरों से हमें क्या मतलब वो तो दूर ही रहते हैं दिल के …
चमन महके तो कैसे दोस्त कम मग़र दुश्मन ये बहुत हैं, बस्तियां जलाने वालों के दिल और चेहरे काले बहुत हैं। अनपढ़ रहना ही अच्छा है समझदार सी दुनिया …